मंगलवार, जून 04, 2013

गुलमोहर------

माना कि तुम्हारे आँगन में
जूही,चमेली,रातरानी
महकती होगी
पर तुम अपने आँगन में
बस
एक गुलमोहर लगा लो
सौन्दर्य का जादू जमा लो-------

दोपहर की धूप में भी देहकर
खिलता,फूलता है 

गुलमोहर
देता है छांव------

तपती जेठ की दोपहरी में
जब कोई खटखटाता है  
तुम्हारा दरवाजा
"वातानुकूलित"कमरे से निकलकर
इस तपते समय में
तुम्हे और तुम्हारे आगंतुक को
गुलमोहर देगा छांव-------

लाल सुबह के रंग लिये
गुलमोहर के फूल
आत्मिक सौन्दर्य के धनी होकर भी
सुगंध से परे रहते हैं
शान से खिलते हैं-------

धूप से जूझते हैं
तब-----!
जब-----!
तुम्हारे "इनडोर प्लांट"
तपे हुये बंगले की दीवारों के बीच 

प्यार भरे सहलाव,अपनत्व में भी
कायम नहीं रह पाते 

तुम्हारे  ही तरह
"सुविधाजीवि"हैं
तुम्हारे पौधे और
फूल--------

तुम गुलमोहर हो सकते हो
किसी आतप से झुलसे जीवन के लिये
छांव दे सकते हो
किसी जलते मन को

प्रेम को-----
 

तुम्हे बाजार मिल जायेगा
सुगंध का
सुविधा से
तुम जूही,चमेली,गुलाब का
सुगंधित अहसास खरीद सकती हो
पर
गुलमोहर की छांव
नहीं मिलती बाजार में
नहीं बनता इसका "सेंट"
यह तो बस खिलता है
सौन्दर्य की सुगंध भरता है
आंखों से मन में,प्रेम में

जीवन में--------

तुम भी गुलमोहर हो सकते हो
बस
अपने आंगन में
एक गुलमोहर लगा लो
सौन्दर्य का जादू जमा लो------------

                  "ज्योति खरे"   
 


 


 



 

35 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

Ranjana verma ने कहा…

Ranjana verma ने कहा…

Ranjana verma ने कहा…

राहुल ने कहा…

सारिका मुकेश ने कहा…

सारिका मुकेश ने कहा…

रविकर ने कहा…

Satish Saxena ने कहा…

Suman ने कहा…

ऐसा ही एक गुलमोहर
मेरे कमरे की खिड़की से
रोज सुबह शाम दिखाई
देता है ...सुन्दर रचना ..

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

Madan Mohan Saxena ने कहा…

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

Maheshwari kaneri ने कहा…

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

चित्र बहुत ही सुन्‍दर है। एक गाना भी याद आ रहा है--गुलमोहर अगर तुम्‍हारा नाम होता.....हं हं हं हं हं होता.....गुलमोहर गर तुम्‍हारा नाम होता। बहुत ही अच्‍छी रही आपकी यह प्रस्‍तुति।

Shalini kaushik ने कहा…

HARSHVARDHAN ने कहा…

गुलमोहर का पेड़ तो बहुत खूबसूरत होता है। सुंदर प्रस्तुति।।

घुइसरनाथ धाम - जहाँ मन्नत पूरी होने पर बाँधे जाते हैं घंटे।

ASHOK BIRLA ने कहा…

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर .....गुलमोहर की छाँव नहीं मिलती बाज़ारों में ....ये पंक्तियाँ ख़ास कर मन में गढ़ गयीं ...गहरी सोच ...सुंदर विचार .....बधाई

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

Rajput ने कहा…

sourabh sharma ने कहा…

Kailash Sharma ने कहा…

रचना दीक्षित ने कहा…

अरे मेरा कमेन्ट अभी भी नहीं दिख रहा है. अगर कमेन्ट स्पैम में जा रहा है तो वहाँ से आप वापस कमेन्ट में ला सकते हैं. अपने डैश बोर्ड पर जा कर कमेंट्स टैब ओपन कर स्पैम में पड़े कमेंट्स को नो स्पैम पर चेक करके दिखेगा.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

संजय भास्‍कर ने कहा…

मेरे कमरे की खिड़की से
रोज सुबह शाम दिखाई
देता है ...सुन्दर रचना ..

Recent Post ... बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग :)

Dayanand Arya ने कहा…

अद्भुत कविता ! जलती दोपहर और ठंडे छाँव को अहसास साथ-साथ ।